भगवान शिव हिंदू धर्म के त्रिदेवों में से एक हैं, जिन्हें संहारक के रूप में जाना जाता है। शिव मंदिरों में शिवलिंग की पूजा की जाती है, जो उनके निराकार और अनंत रूप का प्रतीक है। भारत में शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं, जिनके दर्शन से विशेष आध्यात्मिक लाभ मिलता है।
शिव मंदिरों में विशेष रूप से सोमवार, प्रदोष, शिवरात्रि और श्रावण माह में पूजा का विशेष महत्व है। जल, दूध, बेलपत्र और धतूरा शिव जी को अर्पित किए जाने वाले प्रमुख पूजा सामग्री हैं। मंदिरों में "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप और रुद्राभिषेक किया जाता है।
द्वादश ज्योतिर्लिंग भारत के 12 पवित्र शिव मंदिर हैं जहां भगवान शिव स्वयं ज्योति (प्रकाश) के रूप में प्रकट हुए थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इन सभी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। प्राचीन शिव पुराण के अनुसार, यह 12 ज्योतिर्लिंग भारत के विभिन्न भागों में स्थित हैं।
वेरावल, गुजरात
सोमनाथ मंदिर भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र शिव मंदिरों में से एक है। यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से पहला माना जाता है और अरब सागर के तट पर स्थित है।
श्रीशैलम, आंध्र प्रदेश
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में कृष्णा नदी के तट पर स्थित है। यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से दूसरा है।
उज्जैन, मध्य प्रदेश
महाकालेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित है। यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से तीसरा है और दक्षिणमुखी शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है।
खंडवा, मध्य प्रदेश
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के एक द्वीप पर स्थित है। यह द्वीप ओम के आकार का है, जिससे इसका नाम ओंकारेश्वर पड़ा।
रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड
केदारनाथ मंदिर हिमालय की गोद में समुद्र तल से 3,583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से पांचवां है और चार धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
पुणे, महाराष्ट्र
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में भीमा नदी के उद्गम स्थल पर स्थित है। यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से छठा है।
वाराणसी, उत्तर प्रदेश
काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी में गंगा नदी के तट पर स्थित है। यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से सातवां है और हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है।
नासिक, महाराष्ट्र
त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में गोदावरी नदी के उद्गम स्थल के पास स्थित है। यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से आठवां है।
देवघर, झारखंड
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। इसे बाबा बैद्यनाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है। यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से नौवां है।
द्वारका, गुजरात
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका के पास स्थित है। यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से दसवां है।
रामेश्वरम, तमिलनाडु
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामेश्वरम द्वीप पर स्थित है। यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से ग्यारहवां है और चार धाम यात्रा का भी हिस्सा है।
औरंगाबाद, महाराष्ट्र
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास एलोरा गुफाओं के निकट स्थित है। यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से बारहवां और अंतिम ज्योतिर्लिंग है।
द्वादश ज्योतिर्लिंगों के अतिरिक्त, भारत में अनेक प्रसिद्ध शिव मंदिर हैं जो अपनी वास्तुकला, इतिहास और आध्यात्मिक महत्व के लिए जाने जाते हैं। इन मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ आती है और विशेष अवसरों पर यहां विशेष पूजा अनुष्ठान किए जाते हैं।
जम्मू और कश्मीर
अमरनाथ गुफा मंदिर हिमालय की ऊंचाइयों पर स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है। यहां प्राकृतिक रूप से बना हिमलिंग है जो हर साल बनता और पिघलता है।
कटरा, जम्मू और कश्मीर
वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर स्थित बाबा बर्फानी मंदिर एक प्राचीन शिव मंदिर है। यहां बर्फ के रूप में शिवलिंग प्रकट होता है।
चमोली, उत्तराखंड
बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। यह चार धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहां भगवान शिव और विष्णु की पूजा की जाती है।
रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड
तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह पंच केदार मंदिरों में से एक है और समुद्र तल से लगभग 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
मुस्तांग, नेपाल
मुक्तिनाथ मंदिर नेपाल के मुस्तांग जिले में स्थित है। यह हिंदुओं और बौद्धों दोनों के लिए पवित्र स्थल है। यहां प्राकृतिक रूप से अग्नि और जल एक साथ निकलते हैं।
काठमांडू, नेपाल
पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल की राजधानी काठमांडू में स्थित है। यह विश्व का सबसे बड़ा शिव मंदिर परिसर है और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।
नीलकंठ, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के नीलकंठ में स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर एक प्राचीन शिव मंदिर है। यहां भगवान शिव की नीलकंठ (नीले गले) रूप में पूजा की जाती है।
वैशाली, बिहार
बिहार के वैशाली में स्थित भोलेनाथ मंदिर एक प्राचीन शिव मंदिर है। यहां भगवान शिव की भोलेनाथ के रूप में पूजा की जाती है।
भारत में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इन सभी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।
हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित कई शिव मंदिर विशेष महत्व रखते हैं। केदारनाथ, अमरनाथ और तुंगनाथ जैसे मंदिर पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित हैं और इनकी यात्रा करना एक अद्भुत अनुभव है।
शिव मंदिर भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में शामिल हैं। वाराणसी, रामेश्वरम और उज्जैन जैसे स्थानों पर स्थित शिव मंदिर हर साल लाखों भक्तों को आकर्षित करते हैं।
महाशिवरात्रि शिव भक्तों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन शिव मंदिरों में विशेष पूजा और अभिषेक किया जाता है और भक्त रात भर जागरण करते हैं।
सबसे पहले शिव पूजा का संकल्प लें और मन से प्रार्थना करें।
शिवलिंग पर जल, दूध या पंचामृत से अभिषेक करें और "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
शिवलिंग पर त्रिपत्र (तीन पत्तों वाला) बेलपत्र अर्पित करें, यह शिव जी को अत्यंत प्रिय है।
शिवलिंग पर चंदन का टीका लगाएं और धूप-दीप से आरती करें।
अंत में "ॐ जय शिव ओंकारा" आरती गाएं और अपनी मनोकामना के लिए प्रार्थना करें।
शिव जी की आरती, चालीसा, मंत्र और कथाएं पढ़ें, सुनें और अपने जीवन में शिव जी के आशीर्वाद प्राप्त करें।
शिवलिंग भगवान शिव के निराकार स्वरूप का प्रतीक है। यह पृथ्वी में स्तंभ के रूप में प्रवेश की हुई अग्नि की अनंत ज्योति का प्रतिनिधित्व करता है। शिवलिंग में ऊपरी गोलाकार भाग शिव के सिर का प्रतीक है, जबकि नीचे का भाग ब्रह्मांड की अनंतता का प्रतीक है। शिवलिंग की पूजा शिव के सृष्टिकर्ता और संहारक दोनों रूपों का सम्मान करती है।
द्वादश ज्योतिर्लिंग वे स्थान हैं जहां भगवान शिव ज्योति (प्रकाश) के रूप में प्रकट हुए थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इन स्थानों पर शिव और विष्णु के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ था, जिसमें शिव एक अनंत अग्नि स्तंभ के रूप में प्रकट हुए। इन द्वादश स्थानों पर विशेष महत्व है और माना जाता है कि इन सभी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शिव मंदिरों में पूजा के लिए कई शुभ समय माने गए हैं:
इन समयों पर की गई पूजा का विशेष महत्व माना जाता है और भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शिवलिंग पर जल चढ़ाना प्रतीकात्मक है और इसके कई कारण हैं:
नहीं, सभी शिव मंदिरों का वास्तुशास्त्र समान नहीं होता। मंदिरों का निर्माण अलग-अलग काल और क्षेत्र की परंपरा के अनुसार किया जाता है। हालांकि, कुछ सामान्य विशेषताएं होती हैं: